Friday, January 18, 2019

शेयर बाजार में उतार-चढ़ाव, सेंसेक्‍स 36,374 के स्‍तर पर बंद

हैवीवेट शेयरों में जोरदार बिकवाली की वजह से सप्‍ताह के चौथे कारोबारी दिन भारतीय शेयर बाजार में उतार-चढ़ाव देखने को मिला. कारोबार के अंत में निफ्टी 15 अंक बढ़कर 10,900 का स्तर पार करने में कामयाब रहा तो वहीं सेंसेक्‍स 52.79 अंक चढ़कर 36,374.08 के स्‍तर पर बंद हुआ. इससे पहले सेंसेक्स सुबह 92.31 अंकों की तेजी के साथ 36,413.60 पर खुला. वहीं दिनभर के कारोबार में सेंसेक्स ने 36,468.42 के ऊपरी स्तर और 36,170.80 के निचले स्तर को छुआ. निफ्टी की बात करें तो यह 30.55 अंकों की तेजी के साथ 10,920.85 पर खुला. दिनभर के कारोबार में निफ्टी ने 10,930.65 के ऊपरी और 10,844.65 के निचले स्तर को छुआ.

किस में तेजी, कौन सुस्‍त

जिन शेयरों में बढ़त दर्ज की गई है उनमें एक्‍सिस बैंक, एचसीएल, एचडीएफसी, टीसीएस, कोटक बैंक, महिंद्रा एंड महिंद्रा, पावरग्रिड, हीरो मोटोकॉर्प, वेदांता, एचडीएफसी बैंक और मारुति हैं.वहीं जो शेयर लाल निशान पर बंद हुए उनमें रिलायंस, आईटीसी, एशियन पेंट, टाटा मोटर्स, टाटा स्‍टील, इन्‍फोसिस, आईसीआईसीआई बैंक, एनटीपीसी और ओएनजीसी शामिल हैं. बीएसई के मिडकैप और स्मॉलकैप सूचकांक में गिरावट का दौर देखने को मिला. बीएसई का मिडकैप सूचकांक 44.81 अंक गिरकर 15,142.33 पर और स्मॉलकैप 48.09 अंकों की गिरावट के साथ 14,611.52 पर बंद हुआ.

तीसरी तिमाही के परिणाम 

गुरुवार को हिंदुस्तान यूनिलीवर और निजी क्षेत्र के फेडरल बैंक की तीसरी तिमाही के परिणाम आए. हिंदुस्तान यूनिलीवर का शुद्ध मुनाफा तीसरी तिमाही में नौ फीसदी बढ़कर 1,444 करोड़ रुपये पर पहुंच गया है. वहीं बिक्री 12.42 फीसदी बढ़कर 9,357 करोड़ रुपये हो गई है. जबकि फेडरल बैंक का चालू वित्त वर्ष की तीसरी तिमहाी में शुद्ध लाभ 28.3 फीसदी बढ़कर 333.63 करोड़ रुपये पर पहुंच गया है. बता दें कि वित्त वर्ष की समान तिमाही में बैंक ने 260 करोड़ रुपये का शुद्ध लाभ कमाया था.

रुपये में मजबूती

घरेलू शेयर बाजारों के चढ़ने और अन्य विदेशी बाजारों में डॉलर के कमजोर रहने से शुरुआती कारोबार में रुपया मजबूत रहा. डॉलर के मुकाबले रुपया 9 पैसे चढ़कर 71.15 पर पहुंच गया. इससे पहले रुपया 71.13 पर खुला. बता दें कि डॉलर के मुकाबले रुपया बुधवार को 19 पैसे टूटकर 71.24 पर बंद हुआ था.
नौकरीपेशा महि‍लाओं के लि‍ए स्‍पेशल था बजट

मोदी सरकार ने बजट 2018 में महिलाओं पर खास फोकस रखा था. बजट में कामकाजी महिलाओं को राहत देते हुए उनकी पीएफ मदद को पहले 3 साल 8 फीसदी करने का ऐलान किया. इससे पहले तक पुरुष और महिला दोनों के लिए यह मदद 12 फीसदी था. सरकार के इस फैसले के बाद कामकाजी महिलाओं की इन हैंड सैलरी में इजाफा हुआ.

इस फैसले का सबसे ज्‍यादा फायदा मध्‍यम वर्ग की महिलाओं को मिला.  वहीं पिछले बजट में ग्रामीण इलाकों की गरीब महिलाओं के लिए भी खास ऐलान किया गया था. बजट के दौरान वित्‍त मंत्री अरुण जेटली ने उज्ज्वला योजना के तहत 8 करोड़ महिलाओं को मुफ्त गैस कनेक्‍शन देने का ऐलान किया. पहले इस योजना के तहत करीब 5 करोड़ महिलाओं को ही यह सुविधा दिए जाने का लक्ष्‍य था. वहीं सरकार ने महिला स्‍वयं सहायता समूहों के लिए कर्ज के लक्ष्‍य को बढ़कार बढ़ाकर 75,000 करोड़ रुपये और महिलाओं की राष्‍ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन की राशि को बढ़ाकर 5 हजार करोड़ रुपये से ज्‍यादा करने का भी ऐलान किया गया.

2017 के बजट में क्‍या मिला था

2017 के बजट में महिलाओं के स्किल डेवलपमेंट पर फोकस था. इसके लिए 1.84 लाख करोड़ रुपये का आवंटन किया गया था. वहीं प्रेग्नेंट महिलाओं के अकाउंट में सीधे 6,000 रुपये ट्रांसफर करने का ऐलान किया गया था. वहीं सस्ता लोन देने के लिए नेशनल हाउसिंग बैंक को 20,000 करोड़ की राशि देने की बात कही गई थी.

Thursday, January 10, 2019

आरक्षण बिल पास, मोदी सरकार के सामने अब 29 लाख खाली पदों को भरने की चुनौती

सामान्य वर्ग में आर्थिक रूप से कमजोर लोगों के लिए 10 फीसदी आरक्षण का बिल आखिरकार राज्यसभा और लोकसभा से पास हो गया है. राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के हस्ताक्षर के बाद अब ये बिल कानून में बदल जाएगा, लेकिन इसके साथ ही नरेंद्र मोदी सरकार के लिए नई चुनौती सामने होगी. लोकसभा चुनाव से ऐन पहले चले गए इस मास्टर स्ट्रोक के बाद मोदी सरकार के सामने खाली पड़े सरकारी पदों को भरने की चुनौती होगी.

बिजनेस टुडे के आंकड़ों के मुताबिक, केंद्र और राज्य सरकारों के विभागों में करीब 29 लाख पद खाली पड़े हैं जिन पर नियुक्ति हो सकती है. अब इस बिल के पास होते ही सामान्य वर्ग के करीब 3 लाख लोगों के लिए भी इस 29 लाख में आरक्षण के आधार पर जगह बनेगी.

हालांकि, केंद्र सरकार के सामने चुनौती ये है कि जो पद पिछले कई साल से खाली पड़े थे ऐसे में वह अचानक इनको किस प्रकार भरती है. इन 29 लाख खाली पदों को अगर अलग-अलग क्षेत्रों में देखें तो इस प्रकार है...

-    शिक्षा क्षेत्र में 13 लाख, जिसमें 9 लाख प्राथमिक शिक्षकों और 4.17 लाख नौकरी सर्व शिक्षा अभियान के तहत हैं.

-    1 लाख पोस्ट सेकेंड्ररी लेवल शिक्षकों के लिए, अगस्त 2018 तक केंद्रीय विद्यालय में भी 7885 शिक्षकों के लिए जगह.

-    पुलिस में भी 4.43 लाख पद खाली पड़े हैं. अगस्त 2018 तक सेंट्रल आर्म्ड पुलिस फोर्स और असम रायफल्स में भी 61578 पद खाली पड़े हैं.

-    सभी मंत्रालयों में मौजूद 36.3 लाख नौकरियों में से कुल 4.12 लाख पद खाली हैं. सिर्फ रेलवे में ही 2.53 लाख नौकरियां रेलवे में खाली हैं.

-    नॉन गैजेट कैडर में भी 17 फीसदी नौकरियां हैं. जिनमें 1.06 लाख पद आंगनवाड़ी कार्यकर्ता, 1.16 लाख पद आंगनवाड़ी हेल्पर के पद पर खाली पड़े हैं.

-    IAS, IPS, IFS जैसे पदों पर क्रमश: 1449, 970, 30 पद खाली हैं.

-    इतना ही नहीं सुप्रीम कोर्ट में भी नौ जज के पद खाली पड़े हैं. इसके अलावा देश की कई हाई कोर्ट में 417,  सहऑर्डिनेट कोर्ट में भी 5436 पद खाली पड़े हैं.

-    राजधानी दिल्ली के एम्स में 304 फेकलटी मेंबर के पद अभी भी भरे जाने बाकी हैं.

एक आंकड़े की मानें तो इस समय केंद्र सरकार सरकारी अफसरों की तन्ख्वाह पर ही पर ही 1.68 लाख करोड़ रुपये खर्च करता है. इसके अलावा 10000 करोड़ रुपये तमाम तरह की पेंशनों पर भी खर्च होते हैं.

गौरतलब है कि सामान्य वर्ग को आर्थिक रूप से दिए जाने वाले आरक्षण के फैसले को केंद्र सरकार का लोकसभा चुनाव से पहले मास्टरस्ट्रोक माना जा रहा है. हालांकि, कानून बनने के बाद इसे लागू करवाना एक बड़ी चुनौती के रूप में होगा.

Thursday, January 3, 2019

लालू ने किया था महिला आरक्षण बिल का विरोध, बेटी ने पारित कराने के लिए संभाली कमान

देश के अलग-अलग राजनीतिक दलों की 11 महिला सांसदों ने राज्यसभा के सभापति को नियम 267 के तहत कार्यस्थगन का नोटिस देकर महिला आरक्षण बिल के मुद्दे पर चर्चा की मांग की है. बिल पर चर्चा के लिए कांग्रेस की कुमारी सैलजा सहित पांच महिला सांसदों के अलावा एनसीपी की वंदना चौहान, टीएमसी की शांता छेत्री, आरजेडी की मीसा भारती, डीएमके की कनिमोझी और सीपीएम की झरना दास ने राज्यसभा के सभापति को नोटिस दिया है.

दिलचस्प बात यह है कि इस मुद्दे पर चर्चा की मांग करने वाली महिला नेताओं में मीसा भारती भी शामिल हैं, जो आरजेडी प्रमुख लालू प्रसाद यादव की बेटी हैं. लालू उन नेताओं में शामिल हैं, जो महिला आरक्षण बिल के खिलाफ लंबे समय तक आवाज बुलंद करते रहे हैं. कई दशकों से संसद में लटके महिला आरक्षण बिल की राह में वे बड़ा रोड़ा माने जाते रहे हैं.

बता दें कि राज्यसभा में महिलाओं को 33 फीसदी आरक्षण का बिल 2010 में पास करा लिया गया था, लेकिन लोकसभा में सपा, बसपा और आरजेडी जैसी पार्टियों के भारी विरोध की वजह से ये बिल पास नहीं हो सका है.

गौरतलब है महिला आरक्षण बिल दो दशकों से ज्यादा वक्त से अटका हुआ है. ये बिल 1996 में पहली बार पेश हुआ था और 2010 में राज्यसभा से पास हो गया था लेकिन लोकसभा से पास नहीं हुआ था. सपा, बसपा और आरजेडी का विरोध और कोटे के भीतर कोटे की मांग के चलते ये बिल आज तक पास नहीं हो सका है.

संसद में महिला आरक्षण बिल 1996 में देवेगौड़ा सरकार ने पहली बार पेश किया था और इसका कई पुरुष सांसदों ने भारी विरोध किया था. इसके बाद 2010 में संसद में दोबारा पेश होने के बाद राज्यसभा में बिल पास हुआ, लेकिन लोकसभा में आरक्षण बिल पास नहीं हो पाया था.

दरअसल सपा, बसपा और आरजेडी जैसी पार्टियां दलित, ओबीसी महिलाओं के लिए कोटे के अंदर कोटा की मांग है. उनका तर्क है कि सवर्ण और दलित, ओबीसी महिलाओं की सामाजिक हालत में फर्क होता है.

हालांकि, मोदी सरकार के सत्ता में आने के बाद कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी और मौजूदा अध्यक्ष राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर महिला आरक्षण बिल पास कराने की मांग की थी. इतना ही नहीं उन्होंने इस बिल पर समर्थन देने की भी बात कही थी, इसके बावजूद अभी तक इस बिल को लोकसभा से पास नहीं कराया जा सका है.

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